संगीत के क्षेत्र में अब होगी बम्पर भर्ती || Music Career Scope

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अगर आप संगीत में गहरी रुचि रखने के साथ वाद्यंत्रों की सही समझ रखते हैं, नियमित रियाज और मेहनत से पीछे नहीं हटते हैं तो फिर
किसी अच्छे इस्टीट्यूट में दाखिला लेकर इस फील्ड में करियर का बेहतर आगाज कर सकते हैं। म्यूजिक को अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस
बनाने के बाद आपको म्यूजिक इंडस्ट्री में जॉब के ढेर सारे ऑपशन मिलने लगेंगे। अगर आपमें हुनर है, सही लोगों के साथ नेटवर्क बनाकर क
मेहनत करने की क्षमता है तो आप म्यूजिक इंडस्ट्री से अपार धन और शोहरत कमा सकते हैं।

Music Career Scope

म्यूजिक में करियर स्कोप की कमी नहीं आजकल आनलाइन मार्केटिंग की वजह से म्यूजिक इंडस्ट्री में सकारात्मक बदलाव आया है।
अब कम खर्च में म्यूजिक की ऑनलाइन मार्केटिंग संभव है। इस वजह से भविष्य में इस फील्ड की उम्मीदे बढ़ी हैं। पिछले साल के अंत में भारतीय म्यूजिक इंडस्ट्री का कारोबार करीब 1500 करोड रुपये के बराबर रहा। एक अनुमान के मुताबिक 2023 के अंत तक इस इंडस्ट्री का कारोबार करीब 2300 करोड़ रुपये तक हो जाएगा। डिजिटल संगीत की बढ़ती लोकप्रियता ने म्यूजिक इंडस्ट्री के कारोबार को लगातार बढ़ाया है। करियर स्कोप के लिहाज से भी यहां अवसर पहले से कई गुना अधिक हुए हैं। इन दिनों टेलीविजन इंडस्ट्री, फ़िल्म, विज्ञापन, इबेंट, एजुर्केशन फील्ड, रिएलिटी शोज, प्रोडक्शन हाउस, साउंड, रेडियो, एफएम चैनल्स, कल्चरल डिपार्टमेंट्स और म्यूजिक सॉप्टवेयर इंडस्ट्री में अवसरों की कमी नहीं। अन्य क्षेत्रों की तरह यहां भी प्रतिस्पधा है लेकिन यह टैलेंट
चमकाने के लिए जरूरी है।
म्यूजिक इंडस्ट्री सैलरी पैकेज
म्यूजिक इंडस्ट्री में सैलरी का कोई फिक्स्ड पैमाना नहीं होता है. करियर की
शुरुआत में म्यूजिशियन, सिंगर और म्यूजिक कंपोजर हर महीने
₹35,000 और र55,000 के बीच कमाते हैं. ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक इस इंडस्ट्री में
मंथली एवरेज इनकम र50,000 से लेकर ₹1,35,500
के बीच है। अच्छे परफॉर्मर और म्यूजिशियन के लिए करोड़पति बनना ज्यादा मुश्किल
नहीं. म्यूजिक कम्पोजर और सिंगर की आय उसकी
योग्यता और प्रोजेक्ट पर निर्भर करती है. प्लेबैक सिंगर या एल्बम से भी अच्छी
कमाई हो सकती है.
म्यूजिक कोर्सेज (Music courses)
करीब-करीब सभी छोटे-बड़े शहरों में म्यूजिक ट्रेनिंग सेंटर (Music Training Centre) हैं जहां से ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन, डिप्लोमा और
सर्टिंफिकेट कोर्स के अलावा पार्ट टाइम कोर्स किया जा सकता है। यूनिवस्सिटीज से
लेकर संगीत अकादमियों (Music Academy) में तरह-तरह के म्यूजिक कोर्सेज चलाए जा रहे हैं। हालांकि म्यूजिक लर्निंग (Music Learning) एक सतत साधना है जिसकी शुरुआत छोटी उम्र से ही होती है, लेकिन करियर के लिहाज से दसवीं के बाद म्यूजिक कोर्स में एडमिशन लेकर करियर के टोन (tone) को सेट किया जा सकता है।
उम्मीदवार अपनी योग्यता के मुताबिक कोर्स का चयन कर सकते हैं। आमतौर पर सर्टिंफिकेट कोर्स की अवधि एक साल, बैचलर डिग्री कोर्स की
तीन साल और पोस्ट ग्रेजुएट लेवल कोर्स की अवधि दो साल की होती है। ध्यान रहे, म्यूजिक के लिए सेल्फ प्रैक्टिस बहुत जरुरी है। म्यूजिक में

टॉप कोर्सेज इस प्रकार है

10वीं के बाद संगीत के कोर्सेज संगीत में सर्टिफिकेट कोर्स (Music Certificate Course) संगीत में डिप्लोमा (Diploma in Music) (Certificate in Instrument)
12वीं के बाद संगीत के कोर्सेज संगीत में ग्रेज़ुएशन (बी. म्यूज़िक) संगीत में बीए संगीत में बीए (ऑनरस) ग्रेजुएशन के बाद संगीत के कोर्सेज संगीत में एमए (एम.म्यूजिक) संगीत में एमए मास्टर डिग्री के बाद संगीत का कोर्स संगीत में एमफिल संगीत में पीएचडी प्रमुख संस्थान- बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी, वाराणसी, यूपी -विश्व-भारती विश्वविद्यालय,
शान्तिनिकेतन, प. बंगाल – मुंबई यूनिवर्सिटी (डिपर्टमेंट ऑफ़
म्यूजिक), महाराष्ट्र – भारतीय संगीत महाविद्यालय ग्वालियर – बंगाल म्यूजिक
कॉलेज, कोलकाता – इलाहाबाद यूनिवर्सिटी, प्रयागराज, यूपी –
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर, मध्य प्रदेश – भारतीय कला केंद्र, दिल्ली –
दिल्ली यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली – अखिल भारतीय गांधर्व
महाविद्यालय, मुंबई – पटना यूनिवर्सिटी, पटना, बिहार- भातखंडे संगीत विद्यालय, नई
दिल्ली – बाबासाहेब भीमराव आम्बेडकर यूनिवर्सिटी,
बिहार – बनारस यूनिवर्सिटी, उत्तर प्रदेश – इदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय,
खैरागढ़, छत्तीसगढ़ – अजमेर म्यूजिक कॉलेज, अजमेर –
वनस्थली विद्यापीठ, वनस्थली, राजस्थान – यूनिवर्सिटी ऑफ़ कलकत्ता, वेस्ट बंगाल –
दिल्ली स्कूल ऑफ़ म्यूजिक, नई दिल्ली – हिमाचल प्रदेश
यूनिवर्सिटी, शिमला – जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी, जोधपुर, राजस्थान –
कुरुक्षेत्र महाविद्यालय, हरियाणा

भारतीय संगीत में है करियर की अपार सभावनाए

वर्तमान में देश-विदेश में युवाओं में संगीत से जुड़े बैंड बनाने और परफार्म करने का ट्रेड जोर पकड़ता जा रहा है। इस प्रकार के बैंडस में वोकल आर्टिस्ट (गायक) और इस्ट्रमैंट्रल आटिस्ट (वाद्ययंत्र कलाकार) दोनों का ही समन्वयन देखने को मिलता है।
सामान्यतः लोग ऐसा मानते हैं कि संगीत को करियर का आधार बनाने पर टेक्नीकल क्षेत्र में ज्यादा कुछ करने की संभावनाएं बिलकुल सीमित हो जाती हैं। लेकिन वास्तविकता ठीक इसके विपरीत है। अगर
वास्तविकता के धरातल पर देखा जाय तो आधुनिक संदर्भ मे स्थितिया बिलकल अलग है और संगीत के क्षेत्र में कई नए विकल्प उभरकर सामने आ चुके हैं। उन विकल्पों में से कछ है – स्टेज परफार्मेस : म्यूजिक शो, टेलीविजन म्यूजिक प्रोग्राम, म्यूजिक कंपीटिशन आम्ड फोर्सेज बैंडज,
सिंफनी आर्केस्ट्रा, डांस बैंड, नाइटक्लब, कंसर्ट शो, रॉक और जैज युप इत्यादि में संगीत के जानकरों की बहुत अधिक मांग होती है।
म्यूजिक इंडस्ट्री – इस इंडस्ट्री में कई प्रकार के संगीत में पारंगत लोगों की अहम भूमिका होती है, इनमें विशेष तौर पर म्यूजिक सॉफ्टवेयर प्रोग्रामर, कंपोजर, म्यूजिशियन, जैसे पदों के अलावा रिकार्डिंग म्यूजिक डीलर, म्यूजिक स्टूडियो के विभिन्न विभागों इत्यादि के अतर्गत काम किया जा सकता है।
टेलीविजन – प्वनि रिकार्डिस्ट, म्यूजिक एडिटर, प्रोडक्शन, आर जे एवं डीजे म्यूजिक लाइसेंस में संगीत के जानकार और अनुभवी लोगों की जरूरत हमेशा पड़ती है।
संगीत थेरेपिस्ट – विकलांगता के शिकार बच्चों और लोगों के अलावा मानसिक तनाव से ग्रस्त व्यक्तियों के उपचार में भी आजकल संगीत का प्रयोग किया जाने लगा है. तनाव दूर करने में तो स्गीत एक अहम्भूमिका निभाता है।
इस प्रोफेशन में सफल होने के लिए संगीत और थेरेपी का कृशल जानकार होना अति आवश्यक है इनके
लिए हॉस्पीटलों, मेंटल टैम्थ सेंटरों, नर्सिंग होम्स इत्यादि में रोजगार के भरपूर अवसर हैं।
स्ट्रडियो ट्रेनिंग – संगीत शिक्षक के रूप में स्कूलों, कॉलेजों और अन्य संगीत प्रशिक्षण संस्थाओं में करियर बनाने के बारे में भी सोचा जा सकता है।
इनमें इन संस्थाओं में संगीत में विशेषतता प्राप्त शिक्षकों का बहुत अधिक महत्व
होता है। इस विषय के स्पेशलाइजेशन में विशेष रूप से म्यूजिक थियरी, म्यूजिक हिस्ट्री एंड लिट्रेचर, म्यूजिक एजुकेशन,
म्यूजिकोलॉजी, इलेक्ट्रॉनिक म्यूजिक, क्पोजिशन अथवा म्यूजिक थेरेपी आदि शामिल हैं। इन सबके अतिरिक्त फिल्म इंडस्ट्री, चर्चम्यूजिशियन म्यूजिक लाइब्रेरियन, म्यूजिक अरेजिंग, म्यूजिक सॉफ्टवेयर, प्रोड़ेक्शन म्युजिक, वर्चुअल रिअल्टी साउंड़ एंवायरनमेंट इत्यादि जैसी विधाओं में भी अपना करियर बनाया जा सकता है।
संगीत की दुनिय् में टीचिंग, सिंगिगा, म्यूजिशियन, रिकॉर्डिग, कसर्ट, परफॉर्मर, लाइव शो, डिस जॉकी, वीडियो जॉकी और रेड़ियो जॉकी के रूप में भी करियर की शुरुआत किया जा सकता है। क्लासिकल, फॉक, गजल, पॉप, फ्यूजन आदि के क्षेत्र में भी आवसरो की भरमार है. इसके अतिरिक्त कछ ऐसे क्षेत्र भी है, जो
गजल, पॉप, फ्यूजन आदि के क्षेत्र में भी अवसरों की भरमार है। इसके अतिरिक्त कछ ऐसे संगीत से जुड़ी प्रतिभा को नई बुलंदियों तक पहुचा सकते हैं।
कॉपीराइटर, रिकॉर्डिग टेक्नीशियन, इस्ट्रमेंट मैन्युफैक्चरिंग, म्यूजिक थेरेपी,
प्रोडक्शन, प्रमोशन आदि क्षेत्र में भी बेहतरीन अवसर उपलज्ध हैं भगर जॉब की बात की जाय तो एफएम चैनल्स, म्यूजिक कंपनी,
प्रोडक्शन हाउस म्यूजिक रिसर्च आर्गनाइजेशन, एजुकेशनल इंस्टीट्यूट, गवर्नमेंट कल्चरल डिपार्टमेंट, म्यूजिक चैनल आदि में जॉब के लिए कोशिश किया जा सकता है।


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