राग भैरव || Raag Bhairav Notes || Raag Bhairav Parichay || Raag Bhairav Bandish

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राग भैरव

भैरव कोमल रिधम सुर तीख गंधार निषाद।

धैवत वादी सुर कम्हो तासु ऋषभ संवाद।।

राग भैरब की रचना अपने नाम वाले थाट से मानी गई है। इसलिए यह अपने थाट का आश्रय राजा है। इसमें ऋषभ धैवत कोमल और शेष स्वर शुद्ध प्रयोग किये जाते हैं। वादी धैवत तथा संवादी ऋषभ है। यही दो स्वर आंदोलित होते हैं। इसका गायन-समय प्रातः काल प्रथम प्रहर है, इसलिए इसे प्रातः कालीन सन्धिप्रकाश राह कहते हैं। इसकी प्रकृति गंभीर है। कलिंगड़ा राग से यह बहुत मिलता – जुलता है। इसका गंभीर स्वभाव तथा रे – ध पर आंदोलन भैरव को कलिंगड़ा से अलग कर देता है। जाती सम्पूर्ण – सम्पूर्ण है।

आरोह,अवरोह और पकड़

स्थायी(Sthayi)

अंतरा(Antara)


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4 Responses

  1. Raj.Mishra says:

    क्या मस्त बहुत बढ़िया

  2. Prashant Kumar says:

    Nice bandish

  3. Mohit Gautam says:

    Classical student music 🎶🎶

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