SHODH || CLASSICAL MUSIC || Sangeet me shodh kise kahate hain||

शोध प्रविधि एवं संशिक्षा तथा इसके अंर्तसंबंधात्मक पहलू -:
शोध प्रविधि शोधकार्यों में ज्ञान, कौशल एवं दक्षता प्रदान करती है। इनका सम्बन्ध उन सभी उपकरणों से है ,जो शोध करने के लिए उपयोग किए जाते हैं । ये गुणात्मक,मात्रात्मक एवं मिश्रित हो सकते हैं। शोध समस्या के जटिल होने के कारन इसके अंतर्संबंधात्मक पहलुओं का भी अध्ययन किया जाता है।
शोध प्रविधि एवं संशिक्षा
शोध प्रविधि ऐसी गतिविधि होती है , जो शोधकार्य में ज्ञान या कौशल प्रदान करती है। इस प्रविधि में शोधकार्य को शामिल किया जाता है ,जिसमे तथ्यों का संग्रह ,निर्देशों के क्रमबध्द रूप में सिध्दांतों व तरीकों के अनुपालन हेतु किया जाता है। इस प्रविधि की उपयोगिता शक्षाशास्त्र एवं बाल – विकास के साथ – साथ संगीत के विषय में भी महत्वपूर्ण है। इस प्रकार संगीत में भी शोध प्राविधि पाठ्यक्रम के साथ विभिन्न तथ्यों , बातचीत की शृंखला , प्रायोगिक व शोध ज्ञान की एक शृंखला का समुच्चय होता है , जो छात्रों के शैक्षिक अनुभवों , आकांक्षाओं , क्षमताओं तथा जीवन के अनुभवों को संश्लेषित और संदर्भित करता है। अतः शोध तथा शोध से संबन्धित गतिविधियाँ एवं मत्वपूर्ण पहलुओं का अध्ययन आवश्यक है।
शोध -:
SHODH
शोध उस प्रक्रिया को इंगित करता है ,जिसके द्वारा अनेक प्रकार के तथ्यों का संकलन किया जाता है और उनके विश्लेषण द्वारा व्यापक निष्कर्ष निकाला जाता है। अनुसंधान के अंतर्गत जाचं ,गहन , परिक्षण ,योजनाबध्द अध्ययन ,व्यापक परिक्षण तथा तत्परता युक्त उद्देश्य आदि प्रक्रियाएं सन्निहित होती हैं।
शोध तत्सम संज्ञा शब्द ‘शुध ‘शतु से व्युतपन्न हुआ है। शोध शब्द का प्राचीन अर्थ प्रमाणित करना ,’ परिष्कृत करना ‘अथवा खोज करना है विश्यविद्यालयों में यह शब्द रिसर्च के अर्थ में प्रयुक्त होने लगा है। रिसर्च के अर्थ में प्रयुक्त शोध शब्द ने उक्त तीनों अर्थों को समाहित कर रखा है। शोधकार्य में न केवल खोजना आवश्यक है ,बल्कि खोजे हुए तथ्यों को परिष्कृत एवं व्यवस्थित रूप से प्रमाणित भी करना पड़ता है।
* शोध का व्यापक अर्थ है अपनी खोज के द्वारा किसी नविन लक्ष्य की प्राप्ति करना व प्राप्त तथ्यों का शुध्दिकरण करना , लेकिन इस कार्य में मौलिकता का होना अनिवार्य है , क्योंकी मौलिकता ही शोध की पहली आवश्यक है।
* रिसर्च के लिए हिंदी शब्द शोध का प्रयोग मिलता है। शोध शब्द सरल एवं आकार में छोटा होने के कारन अधिक लोकप्रिय है। अंग्रेजी भाषा में ‘ रिसर्च ‘ विषयक कुछ शब्द के आधार पर बनाए गए हैं। उसके समानार्थी शब्द सामने रखकर यह तथ्य स्पष्ट किए जा सकते हैं ; जैसे –
– शोधार्थी या शोधक
– शोध संस्थान
– शोध प्रविधि
– शोध पत्र
– शोध वृत्ति
– शोधफ्फ विषय
– शोध प्रबंध
– प्रबंधिका
– शोधकार्य
* इस प्रक्रिया में वैज्ञानिक निरीक्षण भी एक महत्वपूर्ण सीढ़ी है। सामान्यतः निरीक्षण शोध की परिधि से बहार होता है। शोध की परिधि में ऐसा निरिक्षण आता है कि उसके बाद समस्या का समाधान भी खोज जाना अनिवार्य होता है।
* यह समाधान अनुमानित न होकर अन्वेषण का परिणाम होता है। शोध की समूची प्रक्रिया तार्किक होती है। अतः इस प्रक्रिया में विशिष्टता और गहनता पाई जाती है। यह तार्किक प्रक्रिया निराधार तर्कों पर आधारित न होकर प्रदत्तों की ठोस पृष्टभूमि पर आधारित होता है। इसमें वही व्यक्ति सफल हो सकता है , जिसने
– नए सत्य की खोज की हो।
– पुराने सत्य को नए तरीके से प्रस्तुत किया हो।
– प्रदत्तों में व्याप्त नवीन संबंधों का स्पस्टीकरण किया हो।
स्वीकार किया गया है की संगीत से पेड़-पोधो, वनस्पति,फसलों का विकास प्रभावित होता हैं संगीत हर क्षेत्र को प्रभावित करता हैं तानसेन जब गाते थे तो वह अनेको हिरण व् अन्य जानवर भीं एकत्रित हो जाये करते थे यहबात बताती हैं की जीवो पर संगीत का कितना गहरा प्रभाव पड़ता हैं आज भी कई स्थानों पर यह देखने को मिलता हैं जैसे घोड़ी ,ऊंट ,सांप आदि नृत्य करते हुए |कोयल के गीत जीवन में मधुर संगीत का महत्व बताते हैं यदि हम इन सभी तथ्यों पर विचार करे तो यही पाएंगे की संगीत के अभाव में जीवन , जीवन ही नहीं होगा क्योकि संगीत प्राणी मात्र के जीवन का अभिन्न अंग हैं संगीत सृष्टि के कण कण में व्याप्त हैं मनुष्य के ह्रदय में गूंजने वाले मधुर भावो से लेकर ब्रह्माण्ड में गूंजने वाली ओउम की संगीत में वो शक्ति हैं जो साधारण मनुष्य को असाधारण व प्रतिभावान बनती हैं मानव मन मष्तिष्क पर इसका बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है संगीत की मधुर ध्वनि में प्राणी मात्र अपनी समस्त चिंताओं को भुला कर अपने ध्यान को एक स्थान पर केंद्रित कर पता हैं इस बात को ध्यान में रख कर आज कई स्थानों पर संगीत के माध्यम से अनेको व्यक्तियों का इलाज किया जाता हैं जिसे हम म्यूजिक थेरपी के नाम से जानते हैं क्योकि संगीत का व्यक्ति के मन और मस्तिष्क पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता हैं जैसे के कभी आप उदास होते हैं और यदि उस समय आप कोई जोश से भरा गीत सुनते हैं तो आपका मन खुश हो जायेगा और उदासी के भाव नहीं रहेंगे |इसी प्रकार संगीत के माध्यम से भाव विभोर भक्तो की आखो में बह रही अश्रु धारा के साथ नृत्य करते हुए इन भक्तो पर संगीत का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता हैं । संगीत केवल मानव मात्र को प्रभावित नहीं करता अपितु संगीत का प्रभाव प्राणी मात्र पर देखा जा सकता हैं इसे सभी प्रकार के जीव -जंतु ,पेड़ – पौधे , वनस्पति, वातावरण व पर्यावरण सभी को प्रभावित करता हैं ये भी संगीत को महसूस करते हैं और प्रभावित होते हैं। संगीत इनके विकास में भी योगदान देता हैं प्रत्येक जीव को संगीत अति प्रिय हैं अनेको ऐसी शोध हुए हैं जिनमे बार बार यही परिणाम पाया गया हैं की संगीत का हर प्राणी पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता हैं । उदाहरण के लिए हम प्राचीन कथाओ में आज तक सुनते हुए आये हैं की तानसेन जब कोई राग गाते थे तो कभी बारिश होती थी तो कभी दीपक जलते थे इस प्रकार संगीत में इतनी शक्ति हैं की कोई भी साधारण इंसान कड़ी मेहनत कर संगीत साधना के माध्यम से आसाधारण बन सकता हैं और संगीत के माध्यम से अपने पर्यावरण म परिवर्तन कर सकता हैं अभी नवीन समय में देखे तो संगीत पर अनेको शोध हुए हैं अनेक जगहों पर कई प्रकार की बीमारियों का इलाज केवल संगीत के माध्यम से किया जा रहा हैं जिसे हम म्यूजिक थेरपी के नाम से जानते हैं पहले भी कई ऐसी शोध हो चुके हैं जिनके अनुसार ये संगीत का प्रभाव संगीत एक साधन भी हैं और साधना भी । आध्यात्मिक दृष्टि से देखा जाये तो संगीत ईश्वर को प्राप्त करने का एक ऐसा साधन हैं जो ईश्वर के द्वारा मानव को दिया गया वरदान स्वरूप हैं संगीत के माध्यम से ईश्वर को प्राप्त किया जा सकता हैं । यह हमारी धार्मिक मान्यताओं में भी देखने को मिलता हैं। साधना की शक्ति ईश्वर को भी प्रकट होने पर मजबूर कर देती हैं संगीत भी एक साधना हैं स्वरों के निरंतर अभ्यास के माध्यम से इसे प्राप्त किया जाता हैं इसी प्रकार स्वर साधना के माध्यम से एक ऋषि व् योगी साधना करते हुए उस परम् शक्ति को प्राप्त करता हैं हमारे ग्रंथो में भी संगीत को मुक्ति मार्ग के रूप में बताया गया हैं ।
ऋग्वेद के अनुसार :-“स्वरन्ति त्वा सुते नरो वसे निरेक उक्थिन |” अर्थात हे शिष्य | तुम अपने आध्यात्मिक
उत्थान के लिए मेरे पास आये हो |इसलिए मैं तुम्हे ईश्वर का उपदेश देता हूँ यदि तुम भगवान को संगीत के माध्यम से पुकारोगे, तो वह तुम्हारे ह्रदये में प्रकट होकर तुमको अपना प्यार प्रदान करेगा ।
अनेक ऐसे साधु महात्मा हुए हैं जिन्होंने संगीत को ईश्वर की आराधना के साधन के रूप में अपनाया हैं जैसे मीरा बाई , कबीर दास ,सूर दास, तुलसी दास आदि इन्होने संगीत में भक्ति रस को जन्म दिया।